श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
श्रीत्रिगुणात्मिका देवता, ॐ ऐं बीजं, ॐ ह्रीं शक्तिः, ॐ क्लीं कीलकम्,
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥ १५ ॥
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
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aiṃ hrīṃ klīṃ chāmuṇḍāyai vichchē jvala haṃ saṃ more info laṃ kṣaṃ phaṭ svāhā ॥ 5 ॥
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
This Mantra retains excellent significance With regards to attaining a blissful psychological condition and spiritual development.
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ॥ ५ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे सिद्ध कुंजिका स्तोत्र
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